संसार में आज हम जो देख रहे हैं वह उत्सव नहीं, केवल मनोरंजन है। मनोरंजन को ‘उत्सव’ की संज्ञा नहीं दी जा सकती क्योंकि मनोरंजन में हम केवल एक मूक दर्शक होते हैं जब कि उत्सव में हम स्वयं सहभागी होते हैं। मनोरंजन में हम नृत्य के द्रष्टा होते हैं तथा उत्सव में सव्यं नर्तन करते है।pic.twitter.com/at6nXJd5Di

Source: chimes