प्रेम हमारा सारतत्त्व है। प्रेम -जाति, धर्म, देश तथा रंग का भेद नहीं देता। हम सब एक ही प्रेम के धागे में गुथे हुए मनके हैं। हमें इस प्रेम को जगाना चाहिये, इसमें सबको जोड़ने की शक्ति है। देश, भाषा एवं संस्कृति की विभिन्नता के बावजूद, प्रेम और शांति सब जगह समान हैं, सार्वभौमिक हैं।