सिर्फ एक इच्छा को पूरा करने में हमें कितना मानसिक श्रम करना पड़ता है। तो फिर हज़ारों इच्छाओं को पूरा करने की चाह का परिणाम क्या होगा? जीवन विकृत हो कर एक उन्माद-मात्र बनकर रह जायेगा और मन और शरीर पूरी तरह टूट जायेंगे। – अम्मा

Source: chimes