संसार में हम लोगों को उनके पद, धन तथा शक्ति से तौलते हैं। यदि वे इन्हें गँवा देते हैं तो हमारी नज़र में उनका दर्जा कम हो जाता है। अध्यात्म इसके विपरीत है। जब हम मैं-मेरा की भावना से मुक्त हो जाते हैं, जब आसक्ति मिट जाती है तब हम महान बनते हैं। तब मनुष्य भगवान बन जाता है।

Source: chimes