मनुष्य एक बीज की तरह है। बीज में वृक्ष बनने की क्षमता है। हर मनुष्य आत्म-रूप है। जब तक बीज वृक्ष नहीं बन जाता वह अपने बाह्य आवरण के अंधेरे में कैद रहेगा। इसी तरह जब तक हम अपने अहंकार का आवरण नहीं तोड़ते हम दुखी ही रहेंगे, स्वयं-प्रकाश आत्मा के अनन्त आनंद का अनुभव नहीं ले पायेंगे।pic.twitter.com/6wwK5GwzpY

Source: chimes