अमृत विश्व विद्यालय के विद्यार्थियों एवं कर्मचारीयों ने 15 अगस्त 2010 को उद्घाटित स्वच्छता अभियान को जारी रखा।
इस चरण के पाँचवे चरण में लगभग 500 विद्यार्थि, कर्मचारी आश्रम के ब्रह्मचारी एवं भक्तों ने 24अक्तूबर 2010 रवीवार को करुणागपल्ली और शास्तम्कोट्टा कस्बे और झील, दोनों ही जगह सफाई अभियान में भाग लिया।
कोल्लम जिले के कईं भागों में पीने के पानी का स्रोत होने के कारण शास्ताम्कोट्टा झील की सफाई अत्यंत आवश्यक थी। विभिन्न झरणों द्वारा नीचे से पानी पहुँचाने वाली, यह साफ पानी की सबसे बडी झील है।
विस्तार से योजना बनाने के उपरांत ही सफाई अभियान चलाया गया। विद्यार्थियों के एक दल ने पहले से ही निरीक्षण किया कि किन स्थानों में सफाई की ज़रूरत है और इस कार्य को करने के लिए क्या साधन चाहिए। स्वयंसेवकों ने सुबह नौ बजे सफाई अभियान शुरू किया। उन्होंने सफाई के सभी उपकरण जैसे दस्ताने, झाडू, फावडा, टोकरी, बोरी इत्यादी लेकर कईं दलों में काम शुरू किया। इन दलों ने मछली बाजार, सरकारी अस्पताल, के.एस.आर.टी.सी. बस डेपो, मंदिर, फिल्टर हाऊस और शास्ताम्कोट्टा झील के तटों को मिलाकर लगभग चार वर्ग किलोमिटर क्षेत्र में सफाई की। इन स्थानों से ट्रकों में भरकर हटाए गए कचरे को रीसायकल करने योग्य और न करने योग्य कचरे को छांटा गया। बायो-डिग्रेडेबल कचरे को गड्ढों में दबा दिया गया एवं रीसायकल करने योग्य कचरे को अमृतपुरी के रीसायकल केंद्र में भेजा गया।
पर्यटकों के लिए शास्ताम्कोट्टा झील भी एक प्रिय स्थान बन गई है और इस कारणवश उसके तटों पर हज़ारों बोतलें, प्लास्टिक और झूठन इत्यादी पडा रहता है। शास्ताम्कोट्टा झील के सफाई अभियान में भाग लेनेवालों को यह देखकर आघात पहुँचा कि कोल्लम जिले के जल स्रोत के तटों की कोई देख-रेख नहीं है और यहाँ इतना कूडा-करकट जमा है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि कूडे-करकट को फेंकने का सही प्रबंध न होने के कारण हर वर्ष अस्पतालों को मिलाकर कईं टन कूडा पूरे शहर में पडा रहता है और बारिश के मौसम में सब बहकर झील में चला जाता है।
सफाई करनेवाले स्वयंसेवकों ने, सडक के दोनों ओर एवं नहर से कईं ट्रकभर कचरा इकट्ठा करके और गाडकर सबसे बडी चुनौती का सामना किया। इतने सारे कचरे को हटाने के प्रबंध के लिए एक जे.सी.बी और कईं ट्रक मंगाये गये। स्थानीय तहसीलदार, पुलिस, केरल जल अधिकारी और कईं जाने-माने नागरिकों ने इस स्वच्छता अभियान का जोर-शोर से समर्थन किया।